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18 Jun 2023 · 1 min read

हे परम पिता !

ईश्वर ने कभी चुना जिसे
मेरे जन्म का खास हेतु
भव सागर के लिए वही
होता मेरे लिए एक सेतु
पर ईश्वर की इच्छा भर ही
मिला मुझे उसका सान्निध्य
एक बड़ी भूमिका निभा गए
शायद पूर्वजन्म के कृतकृत्य
अल्पकाल के लिए ही मुझे
मिला भले पिता का सुख
पिता की मौजूदगी ही हर
लेती सभी किस्म के दुख
इसका आभास तब हुआ
जब काल ने किया प्रहार
बचपन में साथ छोड़ दूर हो
गया वो मैं जिसका विस्तार
हमें कदम कदम पर महसूस
हुआ उसके दूर होने का गम
फिर भी आजीवन आभारी
रहेंगे उस पुण्यात्मा के हम
उनके रचे उपवन में हुआ
पालन,पोषण और विकास
फिर भी मन शून्य में ढ़ूंढ़ता
रहा पितृ आशीषों का प्रसाद
उनके पुण्यों से आबाद रही
मेरे इस जीवन की बगिया
सूक्ष्म रूप से मिली हमें नित
उनके यश से ऊर्जा बढ़िया
उनके ही नाम से मिला हमें
गांव समाज में सदा सम्मान
तमाम प्रतिकूलताओं के बाद
भी जीवन सफर रहा आसान
हम दिल दिमाग से हर दिन
उनकी आराधना करते हैं
सिर पर उनका सदा ही हाध
रहे बस यही प्रार्थना करते हैं
मानव हूं कुछ त्रुटियां होंगी
वो महामना मुझ पे दया करें
जो भी कमियां रह जाती हैं
उन्हें गलती मानके क्षमा करें
पितृ ऋण से कोई नहीं उऋण
हुआ,वेदों ने यही बताया है
पिता का जितना भी सान्निध्य
मिले वो भी ईश्वर की माया है
हे परमपिता मैं शरणागत, नित
मुझ पर दया दृष्टि रखना
आदर्श पिता के न विस्मृत हों
मानस को सदा सजग रखना

Language: Hindi
242 Views
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