मन खामोश है
मन खामोश है, इसे कैसे समझाऊं।
सवाल ही सवाल है, क्या-क्या बतलाऊं ।
बस इतना मालूम है मुझे ।
भागता फिरता है, इधर उधर
बहुत उदास है,जाने क्यों मगर।
बस इतना मालूम है मुझे।।
कभी न मानें ये मेरी बातें ,
क्यों दूसरों पर लगायें है गाते।
इतना मालूम है मुझे।
सुरिंदर कौर