मेरा भारत देश
अलग अलग सभ्यता, विचारता विभिन्नता।
मिट्टी के कण कण में, हिन्दुस्तां महकता।।
होठों पे राष्ट्र गान, हाथों में अमर तिरंगा।
संविधान के पन्नों पे, भविष्य झलकता।।
वीरों की शौर्य गाथा, सदियों से है अमर।
रक्त की हर बूँद में, देशभक्ति का है ज्वार।।
सदा अभिमान रहेगा, शहीदों की कुर्बानी पे।
तपता लहू सभी का, देशभक्ति की आग में।।
फूल एक बाग के, चाहे हिंदू हो या मुस्लिम।
रगों में है सभी के, खून हिंदुस्तान का।।
विविधताओं से भरा, मेरा भारत देश है।
मिट्टी में जिसकी, बसता है अपनापन।।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार