कहते हैं पानी की भी याद होती है,
कहते हैं पानी की भी याद होती है,
बहता है… तो रहता है खुश
ठहर जाए तो सड़ने की शुरुआत होती है।
अपनी पर आए तो काट दे पत्थर,
वरना तो बस जमने और
उबलने की बात होती है।
कहते हैं पानी की भी याद होती है,
बहता है… तो रहता है खुश
ठहर जाए तो सड़ने की शुरुआत होती है।
अपनी पर आए तो काट दे पत्थर,
वरना तो बस जमने और
उबलने की बात होती है।