Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

मृगतृष्णा

मृगतृष्णा
~~~~~
मृगतृष्णा की चादर ओढ़,
भटक रहा मानव इस जग में।
मातृगर्भ से वर्तमान तक,
खुद को समझ न पाया जग में ।

जन्म लिया निर्मल काया थी,
शैशव में निश्छल माया थी।
यौवनकाल भरमाया जग ने ,
झूठे अरमान सजाया जग में।

होंगे वृद्ध जब जर्जर काया में,
मृत्युशैया पर लेटा तब तन-मन ,
भ्रमित ही होगी मोहित माया में।
अंत समय तक फिर भी मानव ,
कुछ भी समझ न पाया जग में ।

तन की कंचन आकांक्षाओं को,
झूठ-सांच के जाल से बुनकर,
ऊँचे ख्वाब सजाया जग में।
रिश्तों के भंवर जाल में फंस,
मोहग्रसित मन पाया जग में।

मृगतृष्णा की चादर ओढ़ ,
भटक रहा मानव इस जग में।

मौलिक एवं स्वरचित
मनोज कुमार कर्ण

123 Views
Books from मनोज कर्ण
View all

You may also like these posts

शब्दों का संसार
शब्दों का संसार
Surinder blackpen
शाम
शाम
Kanchan Khanna
इश्क तू जज़्बात तू।
इश्क तू जज़्बात तू।
Rj Anand Prajapati
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मृत्युभोज
मृत्युभोज
अशोक कुमार ढोरिया
अपने शौक को जिंदा रखिए ..
अपने शौक को जिंदा रखिए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
meenu yadav
बहुत गहरी थी रात
बहुत गहरी थी रात
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
नजरे तो मिला ऐ भरत भाई
Baldev Chauhan
भारत रत्न की आस
भारत रत्न की आस
Sudhir srivastava
"फासला"
Dr. Kishan tandon kranti
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
Phool gufran
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
संगीत का महत्व
संगीत का महत्व
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
May 3, 2024
May 3, 2024
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"बचपन यूं बड़े मज़े से बीता"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विचलित लोग
विचलित लोग
Mahender Singh
काशी विश्वनाथ।
काशी विश्वनाथ।
Dr Archana Gupta
सच्चे और ईमानदार लोगों को कभी ईमानदारी का सबुत नहीं देना पड़त
सच्चे और ईमानदार लोगों को कभी ईमानदारी का सबुत नहीं देना पड़त
Dr. Man Mohan Krishna
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
नशा नाश करके रहे
नशा नाश करके रहे
विनोद सिल्ला
पंक्तियाँ
पंक्तियाँ
प्रभाकर मिश्र
"प्रतिमा-स्थापना के बाद प्राण-प्रतिष्ठा" जितना आवश्यक है "कृ
*प्रणय*
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
मुझे ‘शराफ़त’ के तराजू पर न तोला जाए
मुझे ‘शराफ़त’ के तराजू पर न तोला जाए
Keshav kishor Kumar
आज   भी   इंतज़ार   है  उसका,
आज भी इंतज़ार है उसका,
Dr fauzia Naseem shad
गुरुर
गुरुर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
3181.*पूर्णिका*
3181.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
Loading...