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20 Aug 2019 · 1 min read

मुलाकात

तारों भरी रात थी
रात हसीं खास थी
प्रेमिका से ख्वाब में
हो रही मुलाकात थी

घनी नींद में लीन था
वक्त बहुत हसीन था
आगमन के चाव में
सर ना पर जमीन था

होश न ही हवाश थी
उन्हीं की तलाश थी
दुधिया सी चाँदनी में
खड़ी वो मेरे पास थी

मंद -मंद सर्द हवा थी
आखों में खूब हया थी
कांपते सुर्ख ओष्ठों से
आ रही शर्म हया थी

कहना वो चाह रही थी
कह न कुछ पा रही थी
स्पर्श के आभास से ही
संभल न वो पा रही थी

स्थिति बड़ी अजीब थी
तनिक भी न उम्मीद थी
बढती हुई धडकनें की
रूकने के न उम्मीद थी

बेहतरीन पल थम गए
पैर वहीं पर थे जम गए
प्रेम-भाव तेज बहाव में
वहीं पर हम थे रम गए

तभी कुछ यूँ घट गया
मेरा बिस्तर पट दिया
शवाब के ख्वाब से ही
हकीकत में पटक दिया

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
2 Likes · 405 Views
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