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10 Aug 2023 · 1 min read

” जलाओ प्रीत दीपक “

जलाओ प्रीत दीपक,मिटे जो अंधेरा
घटे तम जो अंतस, है घेरा घनेरा

छंटे मैं का बादल,हो फिर से सबेरा
बुझे आग ईर्ष्या हो तेरा न मेरा

अमन हो चमन हो, ख़ुशी का बसेरा
अपनों से दूरी, न ग़म का हो फेरा

जलाओ प्रीत दीपक, मिटे जो अंधेरा
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)

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