मुक्तक
पत्थरों की सोहबत ने पत्थर का ही बुत बनाया मुझ को
बिछड़ के तुझ से रोया था, क्या पत्थरों ने बताया तुझ को !
…सिद्धार्थ
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ख्वाबों के टूटने से हम नहीं टूटा करते
हम वो नहीं जिसे मुश्किलें लूटा करती !
…सिद्धार्थ
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कोई क्यूँ दिल की आवाज़ सुन नहीं पाता,
वो रातें वो बातें मुझे अक्सर आवाज़ देतें हैं !
…सिद्धार्थ