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1 Aug 2022 · 1 min read

नया सपना

आंखों में चमक
चेहरे पर मुस्कान
घर से निकले
सपना पूरा करने
जिंदगी की क्रूर
कड़वाहटों तले
सपना रौंदा गया
घर भी पीछे छूटा
सोच रहे –
रूकें, ठहरकर
किरची बटोरें
सपने की, या
आगे बढ़ जायें
हिम्मत जुटायें
नये सपने की…!!

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- १९.०२.२०१७.

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 585 Views
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