मासूम शैशव पुनीत रहे
नन्हे कोमल प्यारे – प्यारे
शिशु ईश्वर के कृति दुलारे I
शिशु – तुम गुरु अवश्य ही बनना
निति युक्त ही सुकार्य करना I
डॉक्टर बनना -न बताना बेटा या बेटी
संवेदना हो तुम्हारी दृष्टि I
पुलिस बनो -कर्तव्यपरायण रक्षक
कृपया मत बन जाना भक्षक !
नेता हो तो -रखना देश की आन
निजहित से ऊपर हो जन- सम्मानI
बने अगर तुम फौजी वीर
वैरी की बदनियती देना चीर!
अगर कविता रच पाओ तो
हो रचना में सकारात्मकता I
चित्रकार बन कुची ली हो
तो हर शय ही अलंकृत कर दो I
बनो कुछ भी, रहो कुछ भी
इंसानों के द्योतक रहना
कहो कुछ भी,करो जो सही
‘सुपर मॉम ’ का ये ही है कहना !
• सुपर मॉम : कवियत्री को कई बार प्रेमपूर्वक इसी उपनाम से सुशोभित किया गया है I