“मां के यादों की लहर”
मां के यादों की लहर
मां तेरा आशीर्वाद बना रहे,
हम पर, हर पल, हर दम
इस जहां में नहीं है, तू ,पर
तुम्हारी यादों की लहर,
मेरे आंसुओं के समुंदर पर
गोते खाते रहती है दिन-रात।
भीगे नैना तरसे रात-दिन
चाहत में ममता के दुलार को।
माई माई कहके दिल ये पुकारे,
कोई ना सुन सके यह दर्द हमारे।
जग में मां के दुलार को,
हर बिटिया है तरसती,
जाकर ससुराल को।
खुद मां बनकर
ममता का फर्ज निभाती
पर अपने मां की ममता को
दिन-रात तरसती।
ममतामायी वात्सल्य से भरपूर,
मां तेरे चरणों में जन्नत है सचमुच।
बिटिया के दिल का सुकून है मां।
बिटिया के हर दर्द का सहारा है मां।
जग के सारे धन दौलत एक तरफ
मेरे लिए मां की ममता एक तरफ
मां के रूप में भी एक मां,
मां की ममता को तरसे।
भीगे नैना याद में तेरे दिन-रात तरसे।
मां की ममता,
जीवनसाथी का प्यार,
इस दुनिया के सबसे अनोखे उपहार।
मां तेरा आशीर्वाद बना रहे
हम पर हर पल हर दम।
रचनाकार
कृष्णा मानसी (मंजू लता मेरसा)
बिलासपुर, (छत्तीसगढ़)