माँ जन्मदात्री , तो पिता पालन हर है
माँ जन्मदात्री
तो पिता पालन हर है
माँ प्राण
तो पिता प्राण वायु संचार है
माँ आत्म
तो पिता देह रचना कार है
माँ प्रेम
तो पिता प्रेम का आधार है
माँ ममता की मूरत
तो पिता से पूरा परिवार है
माँ नेत्र
तो पिता नेत्र की बहती अश्रु धार है
माँ और पिता
दोनों ही पुत्र के कर्णधार है
माँ और पिता
दोनों ही पुत्र के संसार है
माँ और पिता
दोनों ही नर नारायण के औतार है
माँ और पिता की
श्रयष्टि के आरंभ से होती जयकार है ||
नीरज मिश्रा ” नीर ” बरही कटनी, मध्य प्रदेश