Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।

इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
बिछा मोह का ताना-बाना, मानव इसमें क्यों जलता है।
मृणमय जीव ब्रह्म है चिन्मय, अणु -कण में उसकी सत्ता है-
काल प्रभंजन, तृणमय तन को, कब ले उड़े, पता चलता है?।
-लक्ष्मी सिंह

121 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
Suryakant Dwivedi
💐प्रेम कौतुक-440💐
💐प्रेम कौतुक-440💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
Gouri tiwari
গাছের নীরবতা
গাছের নীরবতা
Otteri Selvakumar
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
ज़रूरतमंद की मदद
ज़रूरतमंद की मदद
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दुनिया जमाने में
दुनिया जमाने में
manjula chauhan
परिवर्तन की राह पकड़ो ।
परिवर्तन की राह पकड़ो ।
Buddha Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏🙏
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
इज़हार ए मोहब्बत
इज़हार ए मोहब्बत
Surinder blackpen
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
ईश्वर
ईश्वर
Shyam Sundar Subramanian
गीतिका
गीतिका
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्रश्न  शूल आहत करें,
प्रश्न शूल आहत करें,
sushil sarna
3-“ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं “
3-“ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं “
Dilip Kumar
*कोपल निकलने से पहले*
*कोपल निकलने से पहले*
Poonam Matia
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
श्रीकृष्ण शुक्ल
अपने वजूद की
अपने वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
सेवा-भाव उदार था, विद्यालय का मूल (कुंडलिया)
सेवा-भाव उदार था, विद्यालय का मूल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
गुरु श्रेष्ठ
गुरु श्रेष्ठ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*।।ॐ।।*
*।।ॐ।।*
Satyaveer vaishnav
जाने क्यूँ उसको सोचकर -
जाने क्यूँ उसको सोचकर -"गुप्तरत्न" भावनाओं के समन्दर में एहसास जो दिल को छु जाएँ
गुप्तरत्न
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
नूरफातिमा खातून नूरी
एक बेटी हूं मैं
एक बेटी हूं मैं
Anil "Aadarsh"
आराम का हराम होना जरूरी है
आराम का हराम होना जरूरी है
हरवंश हृदय
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
इस हसीन चेहरे को पर्दे में छुपाके रखा करो ।
Phool gufran
मानवता का धर्म है,सबसे उत्तम धर्म।
मानवता का धर्म है,सबसे उत्तम धर्म।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...