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25 Jul 2023 · 1 min read

एक बेटी हूं मैं

एक बेटी हूॅं मैं………
सही हो कर भी गलत हूॅं मैं,
ज़रूरत के वक्त अपनों के बीच
अकेली खड़ी रह जाती हूॅं मैं,
शायद इसलिए क्योंकि…
एक बेटी हूॅं…..मैं..!

अपने पापा की परी हूं मैं
बेटे से कम आंकता है समाज
अबला हूं इसलिए धक्के खाती हूं मैं
क्योंकि एक बेटी हूं …मैं….।

जन्म लेते ही आडंबर से जकड़ जाती हूं मैं,
बुरी नजरों से देखने वालों से,
बचकर संघर्ष करती हूं मैं,
क्योंकि एक बेटी हूं ….मैं…….।

लड़कों से ना कम नाम कमाती हूं मैं,
परंतु जज़्बात की जंजीर में
अनदेखा जिंदगी जीती हूं मैं
क्योंकि एक बेटी हूं …मैं…।

रानी लक्ष्मी बाई,सावित्री बाई फुले
जैसी चमत्कार करती हूं मैं
तब भी शर्मिंदगी महसूस करती हूं मैं
क्योंकि एक बेटी हूं… मैं..।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का
दिखावा झेलती हूं मैं
भावुक होकर शब्दों में बह जाती हूं मैं
सरेआम बाजार में बिक जाती हूं मैं
क्योंकि एक बेटी हूं ….मैं…।

समाज की शान मुझे कहते है लोग
आबरू से खिलवाड़ करते है लोग
उनके नजरों में बदनाम होती हूं मैं
क्योंकि एक बेटी हूं… मैं..।
सच में एक बेटी हूं….मैं…..!!

एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी,
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी,
उस घर की पहचान बनने चली
जिस घर से अनजान हैं बेटी.

अनिल “आदर्श”
कोचस, रोहतास,बिहार

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 1430 Views
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