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4 Jun 2017 · 1 min read

[[[[ माँ की तस्वीर ]]]]

•माँ की तस्वीर•
//दिनेश एल० “जैहिंद”

एक सात वर्षीय बालक
अपने जर्जर कमरे में आता है
एक टूटे-फूटे संदूक से
एक फोटो निकालता है
हाथों में लेकर उसे
अपलक निहारता है
फिर वह उसे छूता है
चूमता है और
भर-भर आँसू रोता है
जब मन-भर रो लेता है
तो वह मन-ही-मन
फोटो को प्रणाम करता है
और यथावत उसे रख देता है ।

बालक उदास मगर
कुछ सोचते हुए
बाहर निकल जाता है
देर रात पुनः वह
अपने उसी कमरे में आता है
फिर पुनः वही प्रक्रियाएं
दोहराता है
और जर्जर कमरे की
छत को निहारता
टूटी खाट पर
सो जाता है ।

सालों साल
बीत जाते हैं
पर बालक क्रमशः
यही क्रियाएँ
दोहराता जाता है
फोटो को निकलता है
निहारता है, छूता है
और भर-भर आँसू रोता है
सुबह निकल पड़ता है
और रात को सो जाता है ।

आज वह
बहुत खुश है
खुश हो भी क्यूँ न
वकालत की डिग्री
जो मिली है उसे
खुशी में तेजी से वह
अपने कमरे में जाता है
और वही फोटो लेकर
फूट फूट रोता है
मगर आज
उसके गालों पर
दुख के आँसू नहीं
खुशी और सफलता के
आँसू हैं ।

उस फोटो के
आशीर्वाद व कृपा से
वह इस मकाम तक
पहुँच पाया है
और वह फोटो, वह तस्वीर
कोई और नहीं
उसकी ममतामयी
माँ की होती है
जो उसे वर्षों पहले
अनाथ छोड़कर
चल बसी थी ।

=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
02. 06. 2017

Language: Hindi
376 Views
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