तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
नहीं रखा अंदर कुछ भी दबा सा छुपा सा
शब्द और अर्थ समझकर हम सभी कहते हैं
*शून्य में विराजी हुई (घनाक्षरी)*
दुर्जन ही होंगे जो देंगे दुर्जन का साथ ,
💐प्रेम कौतुक-320💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'