Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2023 · 2 min read

महाराणा प्रताप

भारत देश महान हमारा,
क्योंकि भूमि है वीरों की।
बलिदान धैर्य व त्याग भरा,
है स्वर्ण कथा शमशीरों की।

महाराणा था अतुलित योद्धा,
अद्भुत सी शौर्य कहानी थी।
शक्ति अदम्य भरी राणा में,
उसके बल की न सानी थी।

राणा के जैसा योद्धा था,
चेतक नामक अद्भुत धोड़ा।
जब जैसे जहाँ जरूरत हो,
रन में राणा वैसे मोड़ा।

गति सरपट थी वायु समान,
चेतक छलांग में निराला था।
एक बार युद्ध में पार किया,
सन्मुख जो भारी नाला था।

प्रताप का कवच बहत्तर का,
इक्यासी किलो का था भाला।
किलो पचपन की थी ढाल खडग,
लेकर चलता चेतकवाला।

क्षत्रिय वंश में जन्म लिया,
पित उदयसिंह माँ,जसवन्ता।
निज मातृभूमि के मान हेतु,
राणा था दुश्मन का हन्ता।

‘कीका’ था नाम लड़कपन का,
माँ बाप का राज दुलारा था।
छत्तीस की आयु में राजा बन,
शासन का काम संवारा था।

स्वाभिमान प्रिय था राणा को,
पराधीनता कभी न स्वीकारा।
अपनी मिट्टी के कुशल हेतु,
जाने कितने वैरी मारा।

दिल्ली के शासक अकबर में,
विस्तारवाद की नीती थी।
भारत के लघु राजाओं को,
सम्मलित कर किया अनीती थी।

मेवाड़ पर नजर थी अकबर की,
छल बल रण से हथियाना था।
लेकिन जब तक राजा राणा,
दुष्कर मेवाड़ को पाना था।

कई बार युद्ध हुआ मुगलों संग,
संघर्ष सदा चलता ही रहा।
राणा प्रताप ऐसा योद्धा ,
दुश्मन ललकार न कभी सहा।

महादेव भक्त था महाराणा,
आचार नियम पर अडिग सदा।
रण में जीती जितनी बेगम,
कटु दृष्टि थी डाली नहीं कदा।

सम्मान साथ वापस भेजा,
जितनी भी थी मुगली नारी।
सम्राट की शान अनोखी थी,
अकबर होता था आभारी।

आखिर दुश्मनी चरम पहुँची,
हल्दीघाटी बनी समर धरा।
अकबर की सेना के आगे,
राणा प्रताप हुंकार भरा।

पंद्रह छिहत्तर तीस मई,
हल्दीघाटी बदली छाई।
तुर्की सेना के बरख़िलाफ़
मेवाड़ फौज लड़ने आई।

थे लाख सिपाही अकबर के,
प्रताप ओर बस दो सौ शतक।
क्षत्रियों का जज्बा ऐसा था,
कम साधन में लड़ते थे अथक।

मुगलों के दांत किये खट्टे,
जितने आये लड़ने सारे।
राणा के वीर बांकुरों ने,
कितने मुगली सैनिक मारे।

पर आई विषम परिस्थिति थी,
इस ओर बचा साधन थोड़ा।
प्रताप ने शक्ति जुटाने को,
कानन की ओर अश्व मोड़ा।

रह गयी लालसा धरी सकल,
अकबर न कर पाया बन्दी।
राणा ने पानी फेर दिया,
जो अरि की नीति बनी गन्दी।

तृण तिनकों की रोटी खाई,
खुद को वन में तैयार किया।
निज आन बान सम्मान प्रिय,
स्वदेश को सदैव प्यार दिया।

राणा आजाद रहेगा सदा,
परबसता नहीं स्वीकरेगा।
प्रताप का केवल एक प्रण था,
अकबर को तुर्क पुकारेगा।।

संधर्ष अनवरत बना रहा,
भीलों संग छद्म युद्ध सीखा।
कई बार प्रताप की जंग देख,
अकबर हैरान लगा दीखा।

प्रताप सखा दानी भामा
मजबूत किया मोहरें देकर।
फिर क्या था राणा युद्ध किया,
ठहरा था रजधानी लेकर।

कई युद्ध के घाव बदन पर थे,
राणा की देह बयान दिया।
उनतीस जनवरी सत्तानवे,
प्रताप जगत से पयान किया।

इस देशभक्त की उपमा में,
दुश्मन झुक मान बढ़ाते हैं।
प्रताप जयंती पर हम सब,
श्रद्धा के सुमन चढ़ाते हैं।

सतीश सृजन, लखनऊ

Language: Hindi
1 Like · 643 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all

You may also like these posts

मन में योग हैं,
मन में योग हैं,
Dr.sima
मानसिक स्वास्थ्य
मानसिक स्वास्थ्य
Mamta Rani
एहसास
एहसास
Shally Vij
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता।   नील रूहान
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता। नील रूहान
Neelofar Khan
विवाह
विवाह
विशाल शुक्ल
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Kumar Agarwal
इश्क की कीमत
इश्क की कीमत
Mangilal 713
*जीत का जश्न*
*जीत का जश्न*
Santosh kumar Miri
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
Ajit Kumar "Karn"
आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।
आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।
Manisha Manjari
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
"मानव-धर्म"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
15. गिरेबान
15. गिरेबान
Rajeev Dutta
प्रश्न मुझसे किसलिए?
प्रश्न मुझसे किसलिए?
Abhishek Soni
पानी पानी सींचे, सींचे अंतस की छाल ,
पानी पानी सींचे, सींचे अंतस की छाल ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
अस्तित्व को ....
अस्तित्व को ....
sushil sarna
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय प्रभात*
चिंगारी
चिंगारी
Dr.Archannaa Mishraa
तिनको से बना घर
तिनको से बना घर
Uttirna Dhar
"हुस्न की कील"
Dr. Kishan tandon kranti
National YOUTH Day
National YOUTH Day
Tushar Jagawat
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
Ritu Asooja
- लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है -
- लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है -
bharat gehlot
4846.*पूर्णिका*
4846.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ଆତ୍ମ ଦର୍ଶନ
ଆତ୍ମ ଦର୍ଶନ
Bidyadhar Mantry
मजाक दुनिया के कुछ भाएं कुछ न भाएँ हैं।
मजाक दुनिया के कुछ भाएं कुछ न भाएँ हैं।
Priya princess panwar
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
इश्क़ एक दरिया है डूबने से डर नहीं लगता,
इश्क़ एक दरिया है डूबने से डर नहीं लगता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोहे
दोहे
seema sharma
Loading...