बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
*संगीतमय रामकथा: आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र, चित्रकूट वालों
पागल सा दिल मेरा ये कैसी जिद्द लिए बैठा है
भगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
बातों में बनावट तो कही आचरण में मिलावट है
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
पर्वत, दरिया, पार करूँगा..!
विटप बाँटते छाँव है,सूर्य बटोही धूप।
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल