मन की केतली
मन की केतली भरी पड़ी है,
ज़िंदगी चाय सी उबल पड़ी है,
पानी से सपनों में,
उम्मीदों की चायपत्ती घुली पड़ी है,
इक इलाइची है नए अवसर जैसी,
तो अदरक कड़े इम्तिहान सी पड़ी है,
दूध है नयी आस की तरह,
तो चीनी भी रिश्तों की मिठास सी पड़ी है,
इक कप है दिल के जैसा,
छननी समझ सी लगी पड़ी है,
मन की केतली भरी पड़ी है ।