मनोरम छंद
मनोरम छंद
************
मापनी – 2122 2122
गालगागा गालगागा
फाइलातुन फाइलातुन
***********************
दर्शन शशि विकल में हो,
उत्तर अब सवाल में हो।
शब्द गरिमा चाल में हो,
प्रेयसी हर हाल में हो।
नयन लड़ते सौर्य में हो,
दामिनी सौंदर्य में हो।
घूँघट फिर मत भ्रम में रख,
लोचन झुके शरम में रख।
मस्त तारुण्य फिर तरुणा,
बाद इनके हो सदा करुणा।
प्रेयसी बैठी हुई थी ,
याद तब वो कर रही थी।
जब मिले हम अश्रु धारा,
बह रहा था नीर सारा।
_________________ प्रताप