“मनुष्य के लिए”
“मनुष्य के लिए”
मनुष्य के लिए वास्तविकता उतना भयावह नहीं होती, जितना कि कल्पना। वजह कल्पना की उड़ान बहुत ऊँची और तेज होती है।
“मनुष्य के लिए”
मनुष्य के लिए वास्तविकता उतना भयावह नहीं होती, जितना कि कल्पना। वजह कल्पना की उड़ान बहुत ऊँची और तेज होती है।