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2 May 2024 · 1 min read

नयन

नयनो से वार्ता की नई रीति हो गई
अंतर में सूक्ष्म भावों की अनुभूति हो गई
जीवन में राम आए तो आराम हो गया
स्नेह जब उदित हुआ तो प्रीति हो गई

कुछ कहो ना कहो तुम भले चुप रहो
नैन तो मन की चुगली किए जाएंगे
जब मिलेंगे लजा कर यह झुक जाएंगे
और खुलेंगे तो खुलकर के मूंद जाएंगे

मौन संवाद वाणी से ज्यादा मुखर
सब बयां कर देती है नजर से नजर
वाणी का घाव होता है गहरा मगर
जान ले लेता है उनका तीरे नजर

मौन धारण का अधरों ने प्रण ले लिया
वार्ता अब नयन ही करेंगे सदा

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