जज़्बात – ए बया (कविता)
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जज़्बात – ए बया
कितना आसान होता है
किसी के जज्बातों से खेलने
कितना मुश्किल होता है
किसी के जज्बातों को समझना
कितना आसान होता है
किसी को अपना कहना
कितना मुश्किल होता है ना
उस अपनेपन को निभाना
कितना आसान होता है ना
किसी के दिल से खेलना
कितना मुश्किल होता है ना
किसी के दिल को समझ पाना
कितना आसान होता है ना
किसी बात को बिना समझे बोलना कितना मुश्किल होता है ना
उस बात को निभा पाना
कितना आसान होता है ना
किसी को आदत में डालना
कितना मुश्किल होता है ना
किसी की बेरुखी सहना
कितना आसान होता है ना
किसी को दोस्त कहना
कितना मुश्किल होता है ना
उस दोस्ती को निभा पाना