मधुमास में बृंदावन
मधुमास में बृंदावन
सखि री आयो है मधुमास ,मैं बृंदावन जाऊंगी।
बृंदावन जाऊंगी,बृंदावन जाऊंगी।।
सखि री आयो है मधुमास…….
है यह एक ऐसी नगरी ,सबके मन को हर लेती।
जहां आने को देव भी तरसे,थे भोले केवल पहुंचे।
सखि री आयो है मधुमास……..
बृंदावन लागो बड़ो सुहावन ,चंचरीक करते मधुर गायन ,
गेंदा,गुलाब,जूही,चंपा, चमेली, पुष्पों से है भरा हुआ वन।
सखि री आयो है मधुमास ……
बृंदावन को जब जाऊं संग राधा रानी लाऊं,
कान्हा संग रचे मनोहर रास , होवे हास परिहास।
सखि री आयो है मधुमास……
रास में तन मन करूं निछावर ,प्रियतम के पा मैं दर्शन,
होवे धन धन भाग हमार, मन में छायो हर्ष अपार।सखि री आयो है मधुमास………
हियरा में मच्यो है शोर ,जैसे बृंदावन नाच्यो मोर।
कदम का पेड़ लगे बड़ा मनभावन ,पेड़ों पर कलियां सुंदरतम।
सखि री आयो है मधुमास……
कुछ ही दिनन में होली आयो, बरसाने में खुशियां छायो।
कान्हा की पिचकारी ने मचायो जब धमाल,चारो ओर छायो गुलाल ही गुलाल।
सखि री आयो है मधुमास……..
नर नारी सब लह्यो परम सुख, देख कान्हा की सांवली सूरत।
प्रभु का अद्भुत रूप अपार, कोटि काम होवे तापर बार।
सखि री आयो है मधुमास……