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2 Feb 2024 · 1 min read

बसंत आयो रे

– बसंत आयो रे
चहुं ओर छटा निराली
गगन देश फैली लाली
कोयल कूक रही काली
बसंत आ गयो रे आलि।
प्यार की सरसराहट सालि
फिजाओं में मादक भाली
मनभावन मन रहा ख्याली
बसंत आयो रे आलि।
गौरी चाल चले मतवाली
मन्द मन्द महक बहे नाली
लगे न काज मन अब टाली
बसंत आयो रे आलि।
कभी दिखे दूर बदरा काली
सर सर बहे बयार मतवाली
बिहसे विहंग चातक चाली
बसंत आयो रे आलि।
पीली पीली सरसों भाली
झूम रही खेतों में डाली
हर्ष भए बागान का माली
बसंत आयो रे आलि।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 78 Views
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