Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2024 · 1 min read

विश्वपर्यावरण दिवस पर -दोहे

दोहे
—————————-–
01
नदियाँ जीवन -स्रोत हैं,और प्राण आधार।
कल-कल जल की धार से,करें सदा हम प्यार।।
02
मौसम की बदमाशियाँ, निशि -दिन के उत्पात।
कभी प्रेम से तर करे,कभी विरह के घात।।
03
भुवन-भास्कर उगल रहे,अग्निपुंज विकराल।
मरती चिड़िया कह गई,जीना हुआ मुहाल।।
04
सभ्य हुआ यह दम्भ ही,करता अनगिन भूल।
मानव जो चेता नहीं,रह जायेगी धूल।।
05
मानव मनमानी करे, करता सुख की चाह।
नदियाँ प्रेम -प्रवाह हैं,धरा-धर्म निर्वाह।।
06
मौसम,झरने ,फूल-फल,शंख,सीपियाँ,मौन।
मानव जो चेता नहीं ,भला बचेगा कौन।।
07
तितली,चिड़िया है कहाँ, कोयल भूली गीत।
पिउ -पिउ जो करता रहा,हुआ प्रवासी मीत।।
08
पनघट गायब हो गये, कहाँ गए वह ठाट।
रसरी आवत जात थी,कहाँ कुएँ के पाट।।
09
बादल से पूछो नहीं, मानसून की बात।
वृक्ष -हीन जब है धरा,कैसे हो बरसात।।
10
जननी अपनी है धरा,हम सब हैं संतान।
ऋण भरना इसका हमें, रखें धरा का ध्यान।।
(स्वरचित)
रागिनी शर्मा,इन्दौर

25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
VINOD CHAUHAN
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
🙅परिभाषा🙅
🙅परिभाषा🙅
*प्रणय प्रभात*
दूरदर्शिता~
दूरदर्शिता~
दिनेश एल० "जैहिंद"
हमेशा फूल दोस्ती
हमेशा फूल दोस्ती
Shweta Soni
*टमाटर (बाल कविता)*
*टमाटर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हमको मिलते जवाब
हमको मिलते जवाब
Dr fauzia Naseem shad
मैं उड़ना चाहती हूं
मैं उड़ना चाहती हूं
Shekhar Chandra Mitra
इन्सानियत
इन्सानियत
Bodhisatva kastooriya
प्रेम
प्रेम
Sanjay ' शून्य'
गले से लगा ले मुझे प्यार से
गले से लगा ले मुझे प्यार से
Basant Bhagawan Roy
निबंध
निबंध
Dhirendra Singh
सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
लक्ष्मी सिंह
2811. *पूर्णिका*
2811. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
परम्परा को मत छोडो
परम्परा को मत छोडो
Dinesh Kumar Gangwar
नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि,
नवरात्र के सातवें दिन माँ कालरात्रि,
Harminder Kaur
"तासीर"
Dr. Kishan tandon kranti
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
कमियाॅं अपनों में नहीं
कमियाॅं अपनों में नहीं
Harminder Kaur
Yuhi kisi ko bhul jana aasan nhi hota,
Yuhi kisi ko bhul jana aasan nhi hota,
Sakshi Tripathi
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
ना तो कला को सम्मान ,
ना तो कला को सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
बढ़ती हुई समझ,
बढ़ती हुई समझ,
Shubham Pandey (S P)
यक्ष प्रश्न है जीव के,
यक्ष प्रश्न है जीव के,
sushil sarna
तेरा मेरा वो मिलन अब है कहानी की तरह।
तेरा मेरा वो मिलन अब है कहानी की तरह।
सत्य कुमार प्रेमी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
** हद हो गई  तेरे इंकार की **
** हद हो गई तेरे इंकार की **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...