भोला बचपन
” भोला बचपन ”
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खेल रहा है…..
भोला बचपन !
सागर के एहसासों से |
निर्मित करते
एक घरौंदा !
अपने कोमल हाथों से |
उम्र है छोटी
सोच बड़ी हैं !
लगता इनकी बातों से |
लेकर कर में
सौंधी मिट्टी !
जोड़ रहे ख्यालातों से |
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— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”