Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jun 2021 · 1 min read

भूल बैठे मेहमाँ हैं

खो गए बेकार हम, दुनिया के कारोबार में
भूल बैठे मेहमाँ हैं, हम सभी संसार में

कौन जाने, पार जाना है हमें कब, किस घड़ी
डोलती हैं ज़िन्दगी की, नाव ये मझधार में

ओढ़ ली चादर भरम की, हमने अपने चार सू
जी रहे थे चैन से हम, नाज़नीं के प्यार में

मौत आई ले चली, टूटा भरम घर-द्वार का
मान बैठे थे हक़ीक़त, झूठ को संसार में

•••

3 Likes · 4 Comments · 245 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
चिल्हर
चिल्हर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
ख़ान इशरत परवेज़
कुछ यूं मेरा इस दुनिया में,
कुछ यूं मेरा इस दुनिया में,
Lokesh Singh
*षडानन (बाल कविता)*
*षडानन (बाल कविता)*
Ravi Prakash
आदमी के नयन, न कुछ चयन कर सके
आदमी के नयन, न कुछ चयन कर सके
सिद्धार्थ गोरखपुरी
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
Manisha Manjari
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब
पूर्वार्थ
खोटे सिक्कों के जोर से
खोटे सिक्कों के जोर से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
समय
समय
Dr.Priya Soni Khare
हम अपनी ज़ात में
हम अपनी ज़ात में
Dr fauzia Naseem shad
रंजीत शुक्ल
रंजीत शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
रूप यौवन
रूप यौवन
surenderpal vaidya
उदर क्षुधा
उदर क्षुधा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
उम्मीद और हौंसला, हमेशा बनाये रखना
उम्मीद और हौंसला, हमेशा बनाये रखना
gurudeenverma198
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
शेखर सिंह
(Y) #मेरे_विचार_से
(Y) #मेरे_विचार_से
*प्रणय प्रभात*
तस्वीर!
तस्वीर!
कविता झा ‘गीत’
यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
The_dk_poetry
उठ जाग मेरे मानस
उठ जाग मेरे मानस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मीठी नींद नहीं सोना
मीठी नींद नहीं सोना
Dr. Meenakshi Sharma
कविता जो जीने का मर्म बताये
कविता जो जीने का मर्म बताये
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* आस्था *
* आस्था *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तू है एक कविता जैसी
तू है एक कविता जैसी
Amit Pathak
पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
Ram Krishan Rastogi
एक गुलाब हो
एक गुलाब हो
हिमांशु Kulshrestha
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
Ajay Kumar Vimal
मां शैलपुत्री
मां शैलपुत्री
Mukesh Kumar Sonkar
दिन और रात-दो चरित्र
दिन और रात-दो चरित्र
Suryakant Dwivedi
कैनवास
कैनवास
Mamta Rani
Loading...