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17 Feb 2024 · 1 min read

दिन और रात-दो चरित्र

चरित्र
दिन और रात के
चरित्र में कितना
अंतर होता है..
दिन में दोस्त सभी
रात में तन्हा होता है।
उजली उजली बातें
अपनी रहने दो
कड़वी कड़वी बातें
उनको कहने दो
दीप शिखा से सब
जल रहे/ तुम भी जलो
देखो
अंधियारे का इतिहास
नहीं होता।।
कुछ पल को ही तुमने
जीवन मान लिया
अपलक अपलक करते
बिस्तर ठान लिया
गवाह है तकिया,कैसी
रात कटी होगी
भीगी भीगी सेज सपन की
सबने ही सही होगी।।
सूर्यकांत द्विवेदी

Language: Hindi
51 Views
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