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19 Jun 2023 · 1 min read

पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास

मां के है श्रृंगार पिता।
बच्चो के संसार पिता।

मां आंगन की तुलसी है।
द्वार के वंदनवार पिता।।

घर की नीव सरीखी मां।
घर की छत दीवार पिता।।

मां कर्तव्य बताती है।
देते है अधिकार पिता।।

मां सपने बुनती रहती है।
करते है साकार पिता।।

बच्चो की पालक हैं मां।
घर के पालनहार पिता।।

बच्चो की हर बाधा को।
लड़ने को है तैयार पिता।।

आज विदा करके बेटी।
रोए पहली बार पिता।।

बच्चो की खुशियां पाए तो।
कर दे जान निसार पिता।।

घर को जोड़े रखने में।
टूटे कितनी बार पिता।।

घर का भार वे उठाते थे।
अब है घर के भार पिता।।

बंटवारे ने अब बांट दिए।
बूढ़ी मां है लाचार पिता।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
6 Likes · 13 Comments · 811 Views
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