— भूख —
किसी को काम की भूख
किसी को पैसे की यहाँ
किसी को लालसा की भूख
किसी को सत्ता की यहाँ
हर इंसान है लिप्त
सोच सोच का फर्क यहाँ
कोई करता न्योछावर खुद को
कोई आराम से पाता है यहाँ
भूख किसी की कभी मिटती नही
चाहे भरे रखे हों भण्डार उस के
किसी किसी को मेहनत कर के
भी नही मिलते सुख साधन यहाँ
अजब गजब है दुनिया सारी
सब पाकर भी बताती लाचारी
कहे अजीत यह कैसे लोग हैं
शुक्रिया तक नही कर पाती बेचारी
अजीत कुमार तलवार
मेरठ