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15 Mar 2021 · 1 min read

भारत की नारी

गिलहरी सी कूदती,चिड़िया सी चहचहाती,
कभी आसमां पर उड़ती ,कभी जमीं पर उतर आती,
मदमस्त सी चाल, उसका बेबाक़ है अन्दाज़,
मगर ज़िन्दगी ने छुपा लिए थे,उससे कई राज,
वो हैरां थी,परेशां थी,उसकी जिंदगी बन गई थी काश,
ढ़ेर सी मोहब्बत ,खुशियां थी अपार,
हर घड़ी मांगा था,उसने सिर्फ उसका साथ,
फ़रेब कहूँ ,या क़िस्मत का लेखा—–
क़ायनात भी थम गई,ऐसा छूटा हाथ,
नैय्या उसकी डोल गयी,बिन मांझी बिन पतवार,
एक पल को वो सहम गई, ये क्या हुआ उसके साथ,
दूजे पल ही खड़ी हुई,बन बच्चों की ढाल,
अंधेरों में चल पड़ी,ले हिम्मत की तलवार,
दुःख की बाती को जला दिया,बन आशा की चिंगारी,
निडर,साहसी,हिम्मती,तू है भारत की नारी।।

Language: Hindi
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