योगी
शून्य प्रसून परम योगी योगेश्वर, तुम महादेवाधि ईश्वर परमेश्वर
तुमसे सुशोभित भू कुल मण्डल, तुम ही नाथ अगम्य अगोचर
सकल ब्रह्माण्ड तुम्हारी माया , श्वांस श्वांस समझ यही आया
काला तीत काल के स्वामी, तुम महाकाल हे ज्ञान गुण सागर
सृष्टि नियंता तुम अन्तर्यामी,तुमको भजते निशि दिन प्राणी
देव दैत्य गंधर्व यक्ष सब, वीर पीर पूजे भगवन औ निशाचर
हे नाथों के नाथ सुनो अब, हृदय मेरे विकार हरौ सब
देकर अपने मुझको अनुभव, काटो मेरा अब भवसागर
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