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2 Mar 2024 · 1 min read

सज जाऊं तेरे लबों पर

सज जाऊं तेरे लबों पर कोई कविता बनकर ।
गुनगुनाए तू मुझे , मैं नाचूं तन तनकर।

मिल जाए अर्थ , फिर मेरे हर अल्फाज़ को
वाह वाह करके पसंद करें तेरे अंदाज़ को।

कोई भरे आह ,कोई तालियां बजाता रहे
बंद आंखों से कोई झूमे, महफ़िल सजाता रहे।

और मैं मदहोश हो,खुशी से इतराती रहूं
किस्मत अपनी पर मैं रश्क बजाती रहूं।

लेकिन बहुत मुश्किल है एक कविता बनना।
अल्फाजों के खेल में ,एक अदद अल्फाज़ चुनना।
सुरिंदर कौर

Language: Hindi
46 Views
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