छाती
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माँ की ममता से पूरित छाती
प्रसव पीड़ के बाद छाती
शिशु को स्तन पान करवाती
ईश्वर की अनुपम दें है छाती
संसार स्वप्न को आकार दिलाती
मानव शक्ति भण्डार है छाती
होता हर भाव अंकुरित जिसमें
छिपा मानव मूल है ये छाती
सृष्टि सिरजन को आधार दिलाती
नारी वरदान नाम है छाती
समस्त संताप को हरकर भी
मानव जीवनआधार है छाती
प्रेम संवेदनाओं की भाषा भी
पुरुष का झूठा दम्भ है छाती
वसुन्धरा का आंचल प्यारा
प्रकृति का सौंदर्य भी छाती
शिशु काल से मृत्यु तक
प्रेम का सम्पूर्ण आधार है छाती
जब वात्सल्य स्नेह अनुराग यहां
फिर क्यों अपराध बनी ये छाती
जिसको स्तन पान कराए फिर
वहसी हवस शिकार क्यों छाती
मां की ममता पत्नी की लज़्ज़ा
आँचल में छिपा संसार ये छाती
जिससे सभ्यता निरन्तर रहती
सृष्टि संचालन सहयोगी है छाती
पूज्यनीय यदि मां की ममता तो
अश्लील वाण बनी क्यों छाती
सुमेरु से करते ऊंचाई की तुलना
क्यों शिल्पी की कला है छाती
सकल समाज तुझसे आवाहन
स्पष्ट करो क्या समझे तुम छाती
करो सत्य का चिंतन औ मन्थन
क्यों परिधान में लपेटी ये छाती
पुरुष नग्नता निम्न विचार में
मात्र रमणी रूप आकर क्यों छाती
पुरुष चरित्र यदि कलंक है तो
नारी दुर्व्यवहार सूचक क्यों छाती
करो विचार गहन यही चर्चा
बलात हनन शोषण क्यों छाती
सोचो क्या कहता तेरा ये दर्शन
सृष्टि अपूर्ण बिन स्त्री छाती
भारत भू माटी का संस्करण
अनेकों प्रमाण दिलाती छाती
अति सुंदर गौहर बानो थी
बड़ी मनोहर उसकी भी थी छाती
युध्द में जीती मुगल बेगम थी
मराठा राज्य ने जीती छाती
जो झुका न शीश लज़्ज़ा से झुका
वो शिवाजी की नतमस्तक हुई छाती
सम्मान से वापस कर माफ़ी मांगी
वो भी तो थी पुरुष शौर्य की छाती
क्या हुआ वीर बालको भारत के
क्यों लगे बेचने अब ये छाती
यह गाथा तेरी भू अस्मिता की
क्यों भुल गई मर्यादा छाती
तुम्हारी ये चौरासी इंच की
छत्तीस इंच से बनी है छाती
मानो न मानो यही सत्य है
है ऋणी तुम्हारी ये गर्वित छाती
आज चीख चीख कर नभ तक
क़र्ज़ मांगती तुमसे वो छाती
नहीं चरित्रहीनता का तेरा इतिहास
नही गर्त में गिरो कहती है छाती
सुंदर बालाओं मत व्यापर करो
खुद तुमको रोये तुम्हारी ये छाती
गोद खिलाए तुझे सुलाए
जाने कितने गीत है गाती
यही छाती हां जी यही छाती