Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2024 · 2 min read

जय संविधान…✊🇮🇳

आज का दिन महान बना था,
जब देश को संविधान मिला था।
देश चलाने के लिए चुनिंदा लोगों ने,
कुछ कानूनों का निर्माण किया था।

जब अंग्रेज़ों का चलता था शासन,
अंधकार में भारत जी रहा था।
खून के आंसू रो रहा था भारत,
गुस्से का ज़हर पी रहा था।

कई अभियान चलाएं भारतीयों ने,
कई लोगों ने प्राण दिया था।
आए-गए कई शूरवीर,
लेकिन अंग्रेज़ों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

देखते ही देखते अंग्रेज़ों का ज़ुल्म बढ़ रहा था,
पानी अब सिर के पार हो गया था।
जब अंग्रेज़ों ने हर भारतवासी को,
ईसाई धर्म अपनाने का आदेश दिया।

भारत में कई धर्म, सबने मना कर दिया।
अंग्रेज़ों को गुस्सा आया, फिर खून खराबा हुआ।

देखते ही देखते जब अंग्रेज़ों का ज़ुल्म कम होता गया,
जब उनका अंत नज़दीक आता गया।
कुछ लोगों ने एक बैठक बुलाई।
नव भारत को नव कानून देने की योजना बनाई।

कई बैठकें, विवाद हुए।
लेकिन कार्य न रुका।
एकता का माहौल था छाया,
2 वर्ष, 11 माह, 17 दिन का समय लगा।

234 पन्नों की इस कानून की किताब का नाम,
“संविधान” रखा गया था।
“संविधान सभा” ने,
इतिहास गढ़ा था।

कानून क्या होंगे, देश कैसे चलाया जाएगा,
सोचने में समय लगा था।
किताब लिखने का काम भारतीय सुलेखक,
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को सौंपा गया था।

26 नवंबर 1949 के दिन,
संविधान को स्वीकार किया गया।
26 जनवरी 1950 यानी आज के दिन,
भारतीय संविधान को लागू किया गया था।

कानून की रक्षा आज भी की जाती है।
जो तोड़ देता है इन्हें, उसे कठोर सजा दी जाती है।

हमें अपने संविधान का सम्मान करना चाहिए।
इसके विरुद्ध कभी नहीं जाना चाहिए।
आइए हम सब इसके लिए शपथ लेते हैं।
जिन्होंने जान लगा दी इसे बनाने में,
उन्हें याद और नमन करते हैं।

संविधान समाधान है, विवाद नहीं।
संविधान सबसे पहले, कोई इसके बाद नहीं।

सबसे प्यारा, संविधान हमारा।
सबसे न्यारा, संविधान हमारा।
सबसे पहले, संविधान हमारा।
आख़िरी दम तक, संविधान हमारा।

लगाएंगे बस एक ही रट!
जय हिन्द, जय भारत।

– सृष्टि बंसल

Language: Hindi
1 Like · 76 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#अमृत_पर्व
#अमृत_पर्व
*Author प्रणय प्रभात*
हमारा भारतीय तिरंगा
हमारा भारतीय तिरंगा
Neeraj Agarwal
"सनद"
Dr. Kishan tandon kranti
मुस्कुराना चाहता हूं।
मुस्कुराना चाहता हूं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अभिव्यक्ति
अभिव्यक्ति
Punam Pande
Dr. Arun Kumar shastri
Dr. Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Jaruri to nhi , jo riste dil me ho ,
Jaruri to nhi , jo riste dil me ho ,
Sakshi Tripathi
राम लला
राम लला
Satyaveer vaishnav
2325.पूर्णिका
2325.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कलियुग
कलियुग
Prakash Chandra
कई बार हम ऐसे रिश्ते में जुड़ जाते है की,
कई बार हम ऐसे रिश्ते में जुड़ जाते है की,
पूर्वार्थ
और ज़रा-सा ज़ोर लगा
और ज़रा-सा ज़ोर लगा
Shekhar Chandra Mitra
राम आ गए
राम आ गए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
मुश्किल घड़ी में मिली सीख
मुश्किल घड़ी में मिली सीख
Paras Nath Jha
नया दिन
नया दिन
Vandna Thakur
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
कैसे कांटे हो तुम
कैसे कांटे हो तुम
Basant Bhagawan Roy
था मैं तेरी जुल्फों को संवारने की ख्वाबों में
था मैं तेरी जुल्फों को संवारने की ख्वाबों में
Writer_ermkumar
#सुप्रभात
#सुप्रभात
आर.एस. 'प्रीतम'
भीड से निकलने की
भीड से निकलने की
Harminder Kaur
Love
Love
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
Shweta Soni
दुकान मे बैठने का मज़ा
दुकान मे बैठने का मज़ा
Vansh Agarwal
************ कृष्ण -लीला ***********
************ कृष्ण -लीला ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
Ravi Prakash
तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
Ram Krishan Rastogi
शौक़ इनका भी
शौक़ इनका भी
Dr fauzia Naseem shad
जन्म मरण न जीवन है।
जन्म मरण न जीवन है।
Rj Anand Prajapati
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
Loading...