मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
💐Prodigy Love-23💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Every moment has its own saga
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें