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6 Apr 2023 · 1 min read

मिल ही जाते हैं

मिल ही जाते है यूँ ही कही राह चलते चलते।
जैसे मिल जाये धूआं आग के जलते जलते।

जमाना ले जाता है हर बात से ही फायदा।
हम ही रह जाते है बस हाथ मलते मलते।

हँसने की ये आदत थोड़ी देर मे ही होगी,
आखिर वक्त लगता है,गमो को पलते पलते।

तुम भी अब बात कर लो कोई वस्ल की यारो,
वक्त कम ही लगता है,रात को ढलते ढलते।
Surinder Kaur

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