Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2023 · 1 min read

बढ़े चलो ऐ नौजवान

बढ़े चलो ऐ नौजवान,
देश के मजदूर किसान।
आज की ब्यवस्था को हमें,
लड़ के ही बदलना है।
लड़ के ही बदलना है,
हमें लड़ के ही बदलना है।
लड़ते लड़ते ही बचाएंगे,
हम देश का संविधान।
बढ़े चलो ऐ . . . . . .
अत्याचारी राज है,
रोजगार है न काज है।
शोषण पीड़ित समाज है,
महिला पे गिरते गाज है।
ऐसी ही ब्यवस्था को हमें,
जड़ से ही कुचलना है।
जड़ से ही कुचलना है,
हमें जड़ से ही कुचलना है।
आंधी लायेंगे या तुफान,
मन में ली है हमने ठान।
बढ़े चलो ऐ . . . . . .
पूंजीपति खुशहाल हैं,
जनता का हाल बेहाल है।
कर्ज में डूबा किसान है,
उद्योगपतियों को माफ है।
निकम्मों की ब्यवस्था को,
अब हमको ही बदलना है।
हमको ही बदलना है,
अब हमको ही बदलना है।
देश न बिकने देंगे,
है भारत मेरा महान।
बढ़े चलो ऐ . . . . . .

Language: Hindi
1 Like · 201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नेताम आर सी
View all
You may also like:
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बचपन में थे सवा शेर जो
बचपन में थे सवा शेर जो
VINOD CHAUHAN
2241.💥सबकुछ खतम 💥
2241.💥सबकुछ खतम 💥
Dr.Khedu Bharti
फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
surenderpal vaidya
ज़िंदगी भी समझ में
ज़िंदगी भी समझ में
Dr fauzia Naseem shad
*आया फागुन माह (कुंडलिया)*
*आया फागुन माह (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
“ अपनों में सब मस्त हैं ”
“ अपनों में सब मस्त हैं ”
DrLakshman Jha Parimal
"किसी की नज़र ना लगे"
Dr. Kishan tandon kranti
"अगली राखी आऊंगा"
Lohit Tamta
प्रतिबद्ध मन
प्रतिबद्ध मन
लक्ष्मी सिंह
ఉగాది
ఉగాది
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Seema gupta,Alwar
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
हार स्वीकार कर
हार स्वीकार कर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
ओनिका सेतिया 'अनु '
बेशर्मी के कहकहे,
बेशर्मी के कहकहे,
sushil sarna
*जितना आसान है*
*जितना आसान है*
नेताम आर सी
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
Harminder Kaur
काव्य भावना
काव्य भावना
Shyam Sundar Subramanian
याद तुम्हारी......।
याद तुम्हारी......।
Awadhesh Kumar Singh
*मन  में  पर्वत  सी पीर है*
*मन में पर्वत सी पीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
manjula chauhan
जय माँ कालरात्रि 🙏
जय माँ कालरात्रि 🙏
डॉ.सीमा अग्रवाल
दूर किसी वादी में
दूर किसी वादी में
Shekhar Chandra Mitra
कश्ती औऱ जीवन
कश्ती औऱ जीवन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Kitna hasin ittefak tha ,
Kitna hasin ittefak tha ,
Sakshi Tripathi
हूँ   इंसा  एक   मामूली,
हूँ इंसा एक मामूली,
Satish Srijan
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
आर.एस. 'प्रीतम'
सफल हस्ती
सफल हस्ती
Praveen Sain
Loading...