भारत का प्राचीन इतिहास
(भारत का प्राचीन इतिहास)
भारत का प्राचीन नाम जंबूद्वीप , भारत खंड, आर्यावर्त, हिंदुस्तान आदि-आदि नामों से जाना जाता है। भारत का इंडिया अंग्रेजी नाम की उत्पत्ति सिंधु शब्द से हुई है जो यूनानीयों द्वारा ईसा पूर्व चौथी शती से प्रचलन में है। भारत का सर्वप्रथम नाम आर्यवर्त था।
अनिरुद्ध जोशी जी द्वारा –अखंड भारत के इस तरह टुकड़े होते गए–
अखंड बोलना इसलिए पड़ता है क्योंकि सब कुछ खंड-खंड हो चला है। जंबूद्वीप से छोटा है भारतवर्ष।
भारतवर्ष में ही आर्यावर्त स्थित था। आज न जंबूद्वीप है, न भारतवर्ष, न आर्यवर्त। आज सिर्फ हिंदुस्तान है। अनिरुद्ध जी कहते हैं, सच कहें तो यह भी नहीं है। आओ जानते हैं भारतवर्ष बनने की कहानी।
इंद्र के बाद व्यवस्थाएं बदली और स्वयंभुव मनु संपूर्ण धरती के शासक बने। उनके काल में धरती सात द्वीपों में बंटी हुई थी। जम्मू ,प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रोंच, शाह एवं पुष्कर। इसमें जंबूद्वीप सभी के बीचो- बीच स्थित है। जिसमें से केवल जंबूद्वीप पर ही अधिकांश आबादी रहती थी। स्वयंभू मनु के बाद उनके पुत्र प्रियव्रत धरती के राजा बने प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मति से विवाह किया ,जिनसे उन्हें 10 पुत्र उत्पन्न हुए जो अपने नाम वाले मन्वंतरो के अधिपति हुए थे। राजा प्रियव्रत ने धरती का विभाजन कर अपने सात पुत्रों को अलग-अलग द्वीप का शासक बना दिया। आग्निध्र को जंबूद्वीप मिला वृद्धावस्था में आग्नीध्र ने अपने 9 पुत्रों को जंबूद्वीप के विभिन्न 9 स्थानों का शासन का दायित्व सौंपा। जंबूद्वीप के 9 देश थे इलावृत्त ,भद्राश्व़, किंपुरुष, नाभि ( भारत)। हरि ,केतुमाल, रम्यक ,कुरु और हिरण्यमय। इन पुत्रों में सबसे बड़े नाभि जिन्हें हिम वर्ष का भूभाग मिला इन्होंने हिम वर्ष को स्वयं के नाम से अजनाभ से जोड़कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया ।यह हिमवर्ष का अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था ।राजा नाभि के पुत्र थे,ऋषभदेव। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में भरत जेष्ठ एवं सबसे गुणवान थे, वे आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट हुए इन्हीं के नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा।
प्राचीन काल में यह अखंड भारतवर्ष हिंदूकुश पर्वत माला से अरुणाचल से बर्मा ,इंडोनेशिया तक फैला था दूसरी और यह कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी श्रीलंका तक और हिंदू कुश से नीचे सिंधु के अरब सागर में मिलने तक फैला था यहां की प्रमुख नदियां सिंधु ,सरस्वती ,गंगा, यमुना, कुंभा, ब्रह्मपुत्र ,कृष्णा- कावेरी ,नर्मदा ,महानदी, शिप्रा आदि है।
भारत में कई छोटे और बड़े युद्ध होते रहे जैसे देवासुर संग्राम, इंद्र और वृतासुर युद्ध ,दाशराज्ञ का युद्ध, हैहय परशुराम युद्ध, राम रावण का युद्ध ,चंद्रगुप्त मौर्य धनानंद का युद्ध, सम्राट अशोक कलिंग का युद्ध ,लेकिन उक्त सभी युद्ध के दौरान भारत का अखंड किए जाने का कार्य ही किया जाता रहा ।हालांकि सिकंदर और पोरस युद्ध के बाद भारत में स्थितियां बदलती गई अखंड भारत खंड- खंड होता चला गया।
राजा दुष्यंत पुरु वंशी राजा थे।
रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी ।जनकपुरी नेपाल बॉर्डर से 20 किलोमीटर काठमांडू तक थी ।मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बड़े राज्यों को एकत्रित कर पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल नामक का एक राज्य बना लिया था। तथा 1904 में अंग्रेजों ने पहाड़ी राजा उनसे समझौता कर नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा प्रदान किया। इस प्रकार भारत से अलग होने के पश्चात नेपाल 1947 में अंग्रेजों से भी मुक्त हुआ था । इक्ष्वाकु वंश के भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थ कर हैं।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश