Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2022 · 1 min read

” भारतभूमि “

दुनियां में देश कई मगर भारत देश जैसा कोई नहीं
अपनी भारत की भूमि सब देशों से महान है

मैंने जन्म यहां पाया और मेरी काया धन्य हुई
माथे पे लगा के रज मेरी शान और भी बढ़ जाती
है।

जातियां यहां अनेक और धर्म भाषा भी न एक हैं
दिल में सभी के देश, और राष्ट्र का ये मान है।

निजी लाभ परे रख और सर्वोपरि देश रखें
हम सभी का सम्मान तो हमारे देश से ही जुड़ा है।

जय हिन्द ???? जय भारत ???? जय संविधान ?????️

shivkumar barman ✍️

Language: Hindi
1 Like · 334 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे पास नींद का फूल🌺,
मेरे पास नींद का फूल🌺,
Jitendra kumar
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
gurudeenverma198
गंदा धंधा
गंदा धंधा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
फितरत
फितरत
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सच तो ये भी है
सच तो ये भी है
शेखर सिंह
काला दिन
काला दिन
Shyam Sundar Subramanian
जिस प्रकार प्रथ्वी का एक अंश अँधेरे में रहकर आँखें मूँदे हुए
जिस प्रकार प्रथ्वी का एक अंश अँधेरे में रहकर आँखें मूँदे हुए
Sukoon
"अहम का वहम"
Dr. Kishan tandon kranti
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
15- दोहे
15- दोहे
Ajay Kumar Vimal
रिश्तों में वक्त नहीं है
रिश्तों में वक्त नहीं है
पूर्वार्थ
ज़ीस्त के तपते सहरा में देता जो शीतल छाया ।
ज़ीस्त के तपते सहरा में देता जो शीतल छाया ।
Neelam Sharma
👌ग़ज़ल :--
👌ग़ज़ल :--
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
बिना रुके रहो, चलते रहो,
बिना रुके रहो, चलते रहो,
Kanchan Alok Malu
*इश्क़ न हो किसी को*
*इश्क़ न हो किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
02/05/2024
02/05/2024
Satyaveer vaishnav
2621.पूर्णिका
2621.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
Shweta Soni
क्योंकि मैं किसान हूँ।
क्योंकि मैं किसान हूँ।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
Satish Srijan
बिछड़ा हो खुद से
बिछड़ा हो खुद से
Dr fauzia Naseem shad
*खुश रहना है तो जिंदगी के फैसले अपनी परिस्थिति को देखकर खुद
*खुश रहना है तो जिंदगी के फैसले अपनी परिस्थिति को देखकर खुद
Shashi kala vyas
मन बड़ा घबराता है
मन बड़ा घबराता है
Harminder Kaur
भय लगता है...
भय लगता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हँसकर गुजारी
हँसकर गुजारी
Bodhisatva kastooriya
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
Loading...