धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
*मैं अमर आत्म-पद या मरणशील तन【गीत】*
ठोकरें कितनी खाई है राहों में कभी मत पूछना
जी रहे है तिरे खयालों में
मेरे वतन मेरे चमन तुझपे हम कुर्बान है
कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
आब त रावणक राज्य अछि सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
तुम क्या हो ....." एक राजा "
समाज को जगाने का काम करते रहो,