Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2023 · 3 min read

काला दिन

राजेश को उस दिन ऑफिस में काम निपटाते बहुत देर हो गई थी रात के 8 बज गए , उसे सभी खातों का मिलान कर त्रैमासिक रिपोर्ट बनाकर हेड ऑफिस भेजना आवश्यकता था।
राजेश उस शहर स्थित प्राइवेट कंपनी की शाखा में लेखापाल के पद पर नियुक्त था।
वह रोज शहर अपने गांव से जोकि शहर से 30 किलोमीटर दूर पड़ता था , मोटरसाइकिल से जाकर शाम तक वापस लौट जाता था।
राजेश ने चपरासी को ऑफिस बंद करने का आदेश दिया। चपरासी द्वारा ऑफिस बंद कर चाबी लेने के पश्चात उसने अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट की और वह जल्दी से जल्दी घर पहुंचना चाहता था , क्योंकि गांव के रास्ते के बीच में एक सुनसान जंगल पड़ता था, जिसमें रात के समय बदमाश सक्रिय रहते थे और लूट की वारदात करते थे।
अभी उसने 15 किलोमीटर की दूरी तय की थी ,
जहां से 5 किलोमीटर का जंगली रास्ता शुरू होता था , जो काफी उबड़ -खाबड़ था , जिसमें मोटरसाइकिल की गति धीमी करनी पड़ती थी नहीं तो मोटरसाइकिल के फिसलने का खतरा था।
राजेश मोटरसाइकिल एक निर्धारित धीमी गति से चलाते हुए कुछ किलोमीटर ही निकला था , तब उसे पास की झाड़ी में छिपी हुई कुछ आकृतियाँ नज़रआईं। राजेश का दिल ज़ोर से धड़कने लगा उसे लगने लगा वे बदमाश उसे मार- पीट कर उसका सब कुछ छीन लेगें, तभी उसमे से एक आकृति सड़क के बीचों बीच आ गयी और उसने हाथ देकर राजेश को रुकने का संकेत दिया।
राजेश को मोटरसाईकिल रोकने के सिवा कोई चारा नही था। राजेश ने हेडलाईट के रोशनी मे देखा वह एक 25-30 वर्ष की आयु का एक सिक्ख युवक था। उसने बतलाया वह और उसके साथी सिक्ख युवक जम्मू तवी -पूना (पुणे) झेलम एक्सप्रेस में अमृतसर से पूना(पुणे) के लिए रवाना हुए थे।
यात्रा मे आगरा केंट स्टेशन के बाद मुरैना -ग्वालियर के बीच अचानक गाड़ी चैन खीचने से रूक गई, और धारदार हथियारों से लैस बदमाशों.ने यात्रियों मे से पगड़ीधारी सिक्खों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतारना शुरु कर दिया।
हम इस अचानक हुए हमले से घबराकर गाड़ी से उतरकर जान बचाकर भागे और छुपते छुपाते, इस रास्ते तक पहुँचे है, हमने आपकी मोटरसाईकिल को आते देखा तो आपको से मदद की उम्मीद से आपको रोका है।
राजेश देखा वे चार सिक्ख युवक थे। राजेश की समझ में नहीं आया कि वह क्या करें।
कुछ देर सोचने के बाद उसने उन लोगों से कहा आप लोग कृपया अपनी-अपनी पगड़ी उतार कर गांव वालों की तरह साफा बांध लें , और आप मे से एक मेरे साथ पास के पुलिस स्टेशन चले, वहां से पुलिस की मदद लेकर आप लोगों की सुरक्षा व्यवस्था की जा सकती है। बाकी लोग यही पुलिस की मदद आने तक छुपे रहें।
राजेश उनमे से एक युवक को अपने साथ मोटरसाइकिल पर बिठा कर पास के पुलिस स्टेशन पहुंचा।
वहां पर पुलिस इंस्पेक्टर को पूरी जानकारी से अवगत कराया। वहां पहुंचने पर उसे पता चला कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उसकी सुरक्षा में तैनात सिक्ख सुरक्षाकर्मी ने कर दी है। जिसके आक्रोश मे कुछ अराजक तत्वों द्वारा सिक्खों का कत्लेआम मचाया हुआ है।
इंस्पेक्टर ने पुलिस जीप में अपने हेड कांस्टेबल को भेजकर उन सभी छुपे हुए सिक्ख युवकों को थाने बुलवा लिया। और उनसे घटना की जानकारी एकत्रित करके अपने अधिकारियों को अवगत कराया एवं इसकी सूचना भी स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को दी जिससे उन सिक्ख युवकों को पूरी सुरक्षा प्रदान की जा सके और उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सके।
इंदिरा गांधी की हत्या से उत्पन्न आक्रोश की आग इतनी फैली हुई थी चारों तरफ अराजकता का माहौल था ।
कई गुरुद्वारों को जला दिया गया था , एवं सिक्ख व्यापारियों की दुकानों को भी जला दिया गया था। कई निरीह सिक्खों को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। वह सब एक बड़े पैमाने पर इतनी जल्दी हुआ था , कि प्रशासन उसे नियंत्रण करने में पूर्णतः असमर्थ रहा।
राजेश ने दानवता की पराकाष्ठा का स्वरूप जो उस दिन देखा था , जिसमें सिक्खों की लाशें गलियों में बिखरी पड़ी हुईं थीं उनके घर ,दुकानों ,एवं वाहनों एवं धार्मिक स्थलों को आक्रोशित भीड़ द्वारा जला दिया गया था ।
वह खौफ़नाक दृश्य वह ज़िंदगी भर नहीं भुला सकता था , जिसका उसके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा था ।
उसे परस्पर प्रेम , संवेदना, सद्भावना, मानवीयता, स्वतंत्रता, सहअस्तित्व , सहकार , सब बातें किताबीं निरर्थक लगने लगीं थीं।
वह वितृष्णायुक्त काला दिन उसके मस्तिष्क पटल पर गहराई से सर्वदा अंकित रहेगा।

नोट: यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित हैं , जिसमे अतिश्योक्ति का समावेश नही है।

Language: Hindi
183 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
Anil Mishra Prahari
दिल को एक बहाना होगा - Desert Fellow Rakesh Yadav
दिल को एक बहाना होगा - Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
बुद्ध जी की करुणा हुई तो
बुद्ध जी की करुणा हुई तो
Buddha Prakash
■ हाल-बेहाल...
■ हाल-बेहाल...
*Author प्रणय प्रभात*
हमसफर
हमसफर
लक्ष्मी सिंह
मेरी औकात के बाहर हैं सब
मेरी औकात के बाहर हैं सब
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आँखों से गिराकर नहीं आँसू तुम
आँखों से गिराकर नहीं आँसू तुम
gurudeenverma198
जा रहा हु...
जा रहा हु...
Ranjeet kumar patre
सोलह श्रृंगार
सोलह श्रृंगार
Shekhar Chandra Mitra
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
अपनी जिंदगी मे कुछ इस कदर मदहोश है हम,
अपनी जिंदगी मे कुछ इस कदर मदहोश है हम,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
राम नाम  हिय राख के, लायें मन विश्वास।
राम नाम हिय राख के, लायें मन विश्वास।
Vijay kumar Pandey
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
जब मैंने एक तिरंगा खरीदा
जब मैंने एक तिरंगा खरीदा
SURYA PRAKASH SHARMA
"वैसा ही है"
Dr. Kishan tandon kranti
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
आओ मिलकर नया साल मनाये*
आओ मिलकर नया साल मनाये*
Naushaba Suriya
धीरज रख ओ मन
धीरज रख ओ मन
Harish Chandra Pande
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
Shweta Soni
दोहे-*
दोहे-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
VINOD CHAUHAN
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हमारी जिंदगी ,
हमारी जिंदगी ,
DrLakshman Jha Parimal
💐प्रेम कौतुक-251💐
💐प्रेम कौतुक-251💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुबह का खास महत्व
सुबह का खास महत्व
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
Rj Anand Prajapati
******छोटी चिड़ियाँ*******
******छोटी चिड़ियाँ*******
Dr. Vaishali Verma
चुनाव आनेवाला है
चुनाव आनेवाला है
Sanjay ' शून्य'
Loading...