भगवान मेरे
विद्यालय है मन्दिर मेरा,
हर बच्चे भगवान मेरे।
विद्यालय का प्रांगण प्यारा,
नूतन अनुसंधान मेरे।।
चलकर नटखट कदमों से,
पुलकित करतें हैं मन को।
है ईश्वर से यही प्रार्थना,
सफल बना लें जीवन को।।
आगे बढ़े चपल कदमों से,
ये पावन पहचान मेरे।
विद्यालय है मन्दिर मेरा,
हर बच्चे भगवान मेरे।।
अक्षर ज्ञान प्रथम आराधन,
सीखें शब्द साधना ये।
करें मृदुल स्वर सुन्दर गुंजन,
पूरी करें कामना ये।।
इनकी शिक्षा प्रेरक पूरित,
ये बच्चे अभिमान मेरे।
विद्यालय है मन्दिर मेरा,
हर बच्चे भगवान मेरे।।
सहज आचरण सच्ची वाणी,
जिज्ञासित भोले भाले।
आँखों में इन बच्चों ने,
हैं अनगिन सपने पाले।।
इनके स्वप्नों को पढ़ पाऊँ,
प्रतिदिन के अभियान मेरे।
विद्यालय है मन्दिर मेरा,
हर बच्चे भगवान मेरे।।
खेल-खेल में इन्हे सिखाऊँ,
निपुण बनें गुणग्राही हों।
अपने जीवन की पगडण्डी,
अनुभव के ये राही हों।।
तेज सूर्य सा इन्दु सुधा सम,
बालवृन्द नवगान मेरे।
विद्यालय है मन्दिर मेरा ,
हर बच्चे भगवान मेरे।।
स्नेहसिक्त शिक्षा दे पाऊँ,
बालजगत के मनभावन।
मुखरित होकर इष्टदेव का,
सस्वर कर लें आराधन।।
पूर्ण करें भगवती शारदे,
शुभ सात्विक अरमान मेरे।
विद्यालय है मन्दिर मेरा,
हर बच्चे भगवान मेरे।।
बनी रहे दन्तुरित सुशोभित,
मोहक स्मित मुखमण्डल।
अवसादों की काली छाया,
कभी न पाये इनको छल।।
कल-कल करती प्रतिपल वाणी,
ये बच्चे मुस्कान मेरे।
विद्यालय है मन्दिर मेरा,
हर बच्चे भगवान मेरे।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी