जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
स्तुति - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
**हो गया हूँ दर बदर चाल बदली देख कर**
मक्खनबाजी में सदा , रहो बंधु निष्णात (कुंडलिया)
किसी ने अपनी पत्नी को पढ़ाया और पत्नी ने पढ़ लिखकर उसके साथ धो
ख़ामोशी जो पढ़ सके,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali