भक्ति- निधि
भक्ति – निधि
भक्ति की अनमोल निधि,
मिलती हमको किस विधि।
जब होता इसका भान,
प्रभु की मिलती सन्निधि ।
प्रभु-कृपा से होता संज्ञान,
हृदय से मिटता सारा अज्ञान।
सृष्टि-रहस्य का होता ज्ञान,
स्पष्ट होता आत्मबोध वि-ज्ञान।
दृष्टि भी हो जाती विराट,
विकृतियों की मिल जाती काट।
मिले अद्भुत अनुभवों को ,
भक्त देते जीवों में बाँट ।
– डॉ० उपासना पाण्डेय