ब्रम्ह बीज होती है विद्या
ब्रह्म बीज होती है विद्या
जो स्वयं को ही बोधित करती है
अंतस की सुंदर जमीन पर
ज्ञान तरू बनकर फलती है.
हर कोई शिक्षा पाता है
कौशल निपुण बन जाता है
सिर ऊंचा करता समाज में
उत्थान में होड़ लगाता है.
लेकिन विद्या व्यवहार सिखाती
दंभ हरण कर देती है
मानस से तृष्णा हटाकर
भाव करुण भर देती है.
शिक्षा रोजी रोटी देती
जिम्मेदारी का धर्म निभाती
सत्कर्मों को जोड़ती खुद से
विद्या हृदय को विकसित करती.
सर्वोत्तम है मानव जीवन
जो विद्या का मर्म सिखाते हैं
शिक्षित हो मानव विद्या से
ज्ञान यही तो कहते हैं.
भारती दास ✍️