Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Aug 2023 · 1 min read

गाँव बदलकर शहर हो रहा

गाँव बदल कर शहर हो रहा।
हवा बदलकर जहर हो रही।
हो रहा मुश्किल यहाँ पे जीना,
धरा गाँव की अहर हो रहा।

गाँव – घरों के सौन्दर्यो पर ,
आधुनिकता का असर हो रहा।
नदी का पानी,खेत खलिहानी,
धीरे- धीरे सह – पहर हो रहा।

गाँव बदल कर शहर हो रहा।
हवा बदल कर जहर हो रही।
रिश्ते-नातों का मतलब भी,
अब केवल लट बहर हो रहा।

कच्ची गलियों की खुशबू पर,
कंक्रीट सीमेंट असर हो रहा।
जार जार हो रहा है दिल मेरा,
कूचे का क्या ये हसर हो रहा?

चुप्पियाँ बैलों के घुँघरू की,
किस्से गाँव की बयां कर रही,
खेतों में ट्रैक्टर का बसर हो रहा।
कुल्हड़ – सुराही बेघर हो रहा।

अपने – अपनों से भी बात करे।
इतनी फुर्सत है, अब कहाँ किसे?
खामोशियों का अब पहर हो रहा।
गाँव बदल कर अब शहर हो रहा।

गाँव की मिट्टी, गाँव की बातें
लिख लिख रवि मुश्तहर हो रहा।
गाँव बदल कर शहर हो रहा।
हवा बदलकर जहर हो रही।
©®रविशंकर साह “बलसारा”
बैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड

Language: Hindi
2 Likes · 201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दूसरों की आलोचना
दूसरों की आलोचना
Dr.Rashmi Mishra
शबे दर्द जाती नही।
शबे दर्द जाती नही।
Taj Mohammad
छंद
छंद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
Manisha Manjari
3217.*पूर्णिका*
3217.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
ruby kumari
#एक_कविता
#एक_कविता
*Author प्रणय प्रभात*
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
Manu Vashistha
"काला पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
प्रथम पूज्य श्रीगणेश
प्रथम पूज्य श्रीगणेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
बेशर्मी से रात भर,
बेशर्मी से रात भर,
sushil sarna
चाय और राय,
चाय और राय,
शेखर सिंह
*अगर संबंध अच्छे हैं, तो यह नुक्सान रहता है 【हिंदी गजल/गीतिक
*अगर संबंध अच्छे हैं, तो यह नुक्सान रहता है 【हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
घर जला दिए किसी की बस्तियां जली
घर जला दिए किसी की बस्तियां जली
कृष्णकांत गुर्जर
दुनिया सारी मेरी माँ है
दुनिया सारी मेरी माँ है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बेदर्द ...................................
बेदर्द ...................................
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
अमर स्वाधीनता सैनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
अमर स्वाधीनता सैनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
कवि रमेशराज
Bhut khilliya udwa  li khud ki gairo se ,
Bhut khilliya udwa li khud ki gairo se ,
Sakshi Tripathi
मेरे रहबर मेरे मालिक
मेरे रहबर मेरे मालिक
gurudeenverma198
मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी भी डंक मार सकती है इसीलिए होशिय
मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी भी डंक मार सकती है इसीलिए होशिय
Tarun Singh Pawar
इश्क़ ला हासिल का हासिल कुछ नहीं
इश्क़ ला हासिल का हासिल कुछ नहीं
shabina. Naaz
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आशा की एक किरण
आशा की एक किरण
Mamta Rani
अनजान लड़का
अनजान लड़का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
💐प्रेम कौतुक-219💐
💐प्रेम कौतुक-219💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कोई पूछे की ग़म है क्या?
कोई पूछे की ग़म है क्या?
Ranjana Verma
*सत्य की खोज*
*सत्य की खोज*
Dr Shweta sood
ग़ज़ल
ग़ज़ल
abhishek rajak
Loading...