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22 Mar 2024 · 1 min read

बेशर्मी से रात भर,

बेशर्मी से रात भर,
जलते रहे चिराग ।
अंधकार ज्यों-ज्यों बढ़ा,
बढ़ी वस्ल की आग ।।

सुशील सरना / 23-3-24

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