“बोलते अहसास”
“बोलते अहसास”
बहुत तूफान आए
सताए आंधियों ने भी
फिर तो मुसीबत झेलकर
निखर जाने को सोची,
रहा नहीं फासला कभी
रोशनी और दीये में
नदी के बीच लेकर नैया
भँवर जाने को सोची।
“बोलते अहसास”
बहुत तूफान आए
सताए आंधियों ने भी
फिर तो मुसीबत झेलकर
निखर जाने को सोची,
रहा नहीं फासला कभी
रोशनी और दीये में
नदी के बीच लेकर नैया
भँवर जाने को सोची।